जलाभिषेक पूजा

जलाभिषेक पूजा | भक्ति और पवित्रता का अर्पण

क्या आपने कभी यह महसूस किया है कि, सब कुछ रोककर अपनी आँखें बंद करके किसी महान, शांत, दिव्य और शुद्ध शक्ति से जुड़ने की आवश्यकता है? यही अनुभव जलाभिषेक पूजा प्रदान करती है। यह सबसे सरल, फिर भी सबसे शक्तिशाली तरीकों में से एक है जिससे भगवान शिव के प्रति गहरी आध्यात्मिक अनुभूति होती है। अनेक मंदिरों के विपरीत, घृष्णेश्वर मंदिर में भक्तों को स्वयं ज्योतिर्लिंग पर अभिषेक करने की अनुमति है। हाँ, आप वास्तव में पवित्र शिवलिंगम को स्पर्श कर सकते हैं, जल अर्पित कर सकते हैं और अपनी मनोकामनाएँ इच्छाए भगवान के सामने रख सकते हैं। यह भवन शिव के प्रति निकटता एक शक्तिशाली और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान करती है – कुछ ऐसा जिसे शब्दों में बयाँ करना कठिन है।

जलाभिषेक पूजा क्या है?

आइए इसे सरल शब्दों में समझते हैं।

  • "जल" का अर्थ है पानी।
  • "अभिषेक" का अर्थ है अर्पण करना या देवताओंको स्नान करवाना ।
  • "पूजा" का अर्थ है उपासना – भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति व्यक्त करने का एक तरीका।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में जलाभिषेक पूजा हिंदू धर्म में सबसे शक्तिशाली और आध्यात्मिक रूप से उत्थान करने वाले अनुष्ठानों में से एक मानी जाती है। भगवान शिव या अन्य देवताओं को जल (जल) अर्पित करके की जाने वाली यह दिव्य क्रिया भक्त की शुद्ध भक्ति, गहरी श्रद्धा और परमात्मा के प्रति समर्पण का प्रतीक है। यह केवल एक अनुष्ठान नहीं है — यह भक्त और महादेव के बीच आत्मिक जुड़ाव है।

घृष्णेश्वर मंदिर में जलाभिषेक का महत्व

जल जीवन का मूल तत्व है, आध्यात्मिक जगत में यह शुद्धता, शांति और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग या देवता पर जल अर्पित करने से भक्त के पिछले पापों का नाश होता है, नकारात्मक ऊर्जाएँ दूर होती हैं और जीवन में शांति, समृद्धि व सौदार्ह्य की अनुभूति होती है।

प्राचीन शास्त्रों में भगवान शिव को "अभिषेक प्रिय" कहा गया है – अर्थात वे निरंतर पवित्र जलधारा से की जाने वाली पूजा को अत्यंत प्रिय मानते हैं। रुद्राभिषेक एवं जलाभिषेक करने से न केवल भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, बल्कि भक्तों को उनके दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होते हैं, जिससे स्वास्थ्य, सफलता और आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग प्रस्थापित होता है।

घृष्णेश्वर मंदिर में जलाभिषेक पूजा कराने के लिए अधिकृत पंडितजी

घृष्णेश्वर मंदिर में सभी अधिकृत पंडितजी की सूची नीचे दी गई है। ये गुरुजी इस पूजा को संपन्न करवाने का स्थानिक अधिकार रखते हैं।

Online & Offline Puja Booking

Note:

  • Each booking permits only one couple or two individuals only. Puja booking details will be shared only after successful puja booking done.
  • All required puja samagri is included in the puja charges.
  • All the pandits listed on this website are verified priests who perform puja rituals inside the temple.
  • Rudrabhishek, Jalabhishek & Panchamrit Abhishek are conducted inside the temple’s Garbhagriha and can touch the Shivling during the ritual only for Offline pujas mode.
  • You must reach the designated puja location as coordinated and communicated by the Pandit Ji, for offline puja booking’s. Puja bookings are Non-Refundable.
  • For offline puja bookings, you must reach the puja location 5 hours before the temple closing time(recommended),as communicated by panditji.

घृष्णेश्वर में जलाभिषेक पूजा कैसे की जाती है?

जल पंचमहाभूतों में से एक होने के कारण, अत्यंत आध्यात्मिक महत्व रखता है। इस पूजा के तहत जल भक्तोंकी भावनाओं, प्रार्थनाओं और गहरी श्रद्धाओं का वाहक बनता है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में जलाभिषेक किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन यह विशेष रूप से निम्न अवसरों पर अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है:

  • सोमवार (सोमवार) – विशेष रूप से पवित्र श्रावण मास में
  • महाशिवरात्रि
  • प्रदोष व्रत
  • प्रत्येक मास की शिवरात्रि
  • भगवान शिव को समर्पित मंदिर, जैसे घृष्णेश्वर मंदिर, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, काशी विश्वनाथ, और भारत में स्थित अन्य नौ ज्योतिर्लिंग, भक्तों के लिए इस पवित्र पूजा को करने के सबसे दिव्य स्थल माने जाते हैं।

जलाभिषेक पूजा की विधि

घृष्णेश्वर मंदिर में जलाभिषेक पूजा आमतौर पर निम्नलिखित चरणों में संपन्न होती है:

  • संकल्प – भक्ति और शुद्ध मन के साथ पूजा का संकल्प लेना।
  • शुद्धिकरण – शिवलिंग या मूर्ति का पवित्र जल से अभिषेक करना, यह जल अक्सर गंगा या गोदावरी जैसी नदियों से लाया जाता है।
  • मंत्रोच्चारण – अभिषेक के दौरान "ॐ नमः शिवाय" और अन्य शिव स्तोत्रों का जाप करना (पंडितजी के मार्गदर्शन के अनुसार)।
  • बिल्व पत्र, फूल और भोग अर्पण – धूप और दीप के साथ संपूर्ण पूजा संपन्न करना।
  • आरती और प्रार्थना – पूजा का समापन भक्तिपूर्ण प्रार्थना और आध्यात्मिक मंत्रों के साथ करना।

घृष्णेश्वर मंदिर में जलाभिषेक पूजा के लाभ

  • मानसिक शांति और भावनात्मक स्पष्टता प्रदान करता है।
  • जीवन की बाधाओं और कर्मजनित बोझ को दूर करने में सहायक होता है।
  • स्वास्थ्य, समृद्धि और पारिवारिक सुख-शांति का आशीर्वाद प्रदान करता है।
  • भक्त और भगवान के बीच आध्यात्मिक बांध को और गहरा बनाता है।

घृष्णेश्वर मंदिर में जलाभिषेक पूजा की दक्षिणा

जलाभिषेक पूजा की दक्षिणा भिन्न हो सकती है। सटीक शुल्क जानने और बुकिंग के लिए कृपया पूजा बुकिंग फॉर्म भर कर चेक करे । पंडितजी आपको मंदिर दर्शन की जानकारी और पूजा सामग्री की व्यवस्था में भी सहायता करेंगे।

समर्पण की एक दिव्य यात्रा

जलाभिषेक पूजा केवल जल अर्पित करने का कार्य नहीं है, बल्कि यह अपने हृदय को दिव्यता के समक्ष अर्पित करने की अनुभूति है। इस सरल अर्पण में भक्ति, कृतज्ञता और आत्मिक परिवर्तन का संपूर्ण ब्रह्मांड समाहित होता है। चाहे यह पूजा किसी भव्य मंदिर में हो या आपके शांतिपूर्ण गृहस्थ स्थान पर, यह भगवान शिव की दिव्य कृपा को आपके जीवन में प्रदान करती है।

यह इतना विशेष क्यों है?

हमारे शास्त्रों में जल केवल एक भौतिक तत्व नहीं है – यह शुद्धता, शांति और समर्पण का प्रतीक है। जब आप भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं, तो यह मानो आपके हृदय की भावनाएँ व्यक्त करता है: "हे महादेव, मेरे हृदय का सारा भार हर लो। मेरी आत्मा को शुद्ध कर दो। मेरे जीवन में शांति का प्रवाह होने दो।" विशेष रूप से सोमवार, श्रावण मास और महाशिवरात्रि के दौरान, भारतभर में श्रद्धालु इस पूजा को अपार भक्ति के साथ संपन्न करते हैं। मंदिरों के बाहर लंबी कतारें लगती हैं, भक्त गंगा या गोदावरी जैसी पवित्र नदियों से जल लाकर, मीलों पैदल चलकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। यही इस परंपरा की गहराई और भक्ति का प्रमाण है|

© 2025 Grishneshwar Services. All rights reserved.Privacy Policy And Terms & Conditions Designed & Developed by Grishneshwar Services .