घृष्णेश्वर मंदिर

घृष्णेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के संभाजीनगर में स्थित सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवान शंकर को समर्पित है और इसे बारह ज्योतिर्लिंगों में अंतिम ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह भारत का एकमात्र ज्योतिर्लिंग मंदिर है जहाँ भगवान शंकर का पूरा परिवार एक ही मूर्ति में विराजमान है, जिसमें भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय नंदी पर विराजमान हैं, और भगवान शंकर ने अपनी जटाओं में गंगा को धारण किया हुआ है। यह नक्काशीदार मूर्ति मंदिर के शिखर पर शीर्ष भाग में सफेद पत्थर में उकेरी गई है, और मंदिर के दक्षिण प्रवेश द्वार से स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

मदिर के एक स्तंभ पर हाथी और नंदी की नक्काशीदार मूर्ति बनी हुई है। इस नक्काशी को हरी-हर मिलन (भगवान विष्णु और भगवान शंकर की भेंट) का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, मंदिर के 24 स्तंभों पर यक्षों की आड़ी मूर्तियाँ उत्कीर्णन गई हैं, जो यह दर्शाती हैं कि यक्षों ने पूरे मंदिर का भार अपने कंधों और पीठ पर उठाया है।

Grishneshwar Temple
Grishneshwar Temple

घृष्णेश्वर मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट !

"घृष्णेश्वर सर्विसेस" की आधिकारिक वेबसाइट www.grishneshwartemple.com पर आपका स्वागत है। यह वेबसाइट घृष्णेश्वर मंदिर के पुरोहित संघ के अधिकारिक सदस्यों (पुरोहितों) द्वारा प्रमाणित की गई है। इस संघ को ब्रह्मवृंद संघ भी कहा जाता है। यह एक अधिकारिक समिति है, जिसमें लगभग 120 प्रमाणित गुरुजियों का समावेश है, जिनमें मुख्यतः लगभग 16 पुरोहित परिवार शामिल हैं। इन पुरोहितों को घृष्णेश्वर देवस्थान ट्रस्ट के ट्रस्टी बनने का अवसर भी प्राप्त होता है। ये सभी ताम्रपत्रधारी पुरोहित हैं, जिनके पास प्राचीन नामावली (चोपड़ी) उपलब्ध है और उन्हें मंदिर के अंदर सभी पूजा विधियाँ करने का आधिकारिक अधिकार और जन्मसिद्ध अधिकार प्राप्त है। www.grishneshwartemple.com की मदद से आप कोई भी पूजा (ऑनलाइन/ऑफलाइन पद्धति से) सिर्फ एक क्लिक में बुक कर सकते हैं। घृष्णेश्वर मंदिर में पूजा करने वाले गुरुजियों की संपूर्ण जानकारी आपको यहाँ आसानी से उपलब्ध हो जाएगी।नुमति है।

घृष्णेश्वर मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट

घृष्णेश्वर पुरोहित की आधिकारिक वेबसाइट (www.grishneshwartemple.com) पर आपका स्वागत है। उनके पुरोहित संघ का नाम ब्रह्मवृंद संघ है। यह लगभग 120 अधिकृत गुरुओं की प्रमाणित समिति है, जिसमें मुख्य रूप से घृष्णेश्वर क्षेत्र के 16 पुरोहित परिवार शामिल हैं। इन पुरोहितों को घृष्णेश्वर मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी बनने का अवसर मिलता है। सभी ताम्रपत्रधारी पुरोहितों के पास आधिकारिक पहचान पत्र होते हैं। ताम्रपत्रधारी होने का अर्थ है कि वे "ब्रह्मवृंद संघ" नामक आधिकारिक संस्था का हिस्सा हैं और उन्हें मंदिर में पूजाविधि करने का अधिकार प्राप्त है।

इस आधिकारिक वेबसाइट की मदद से आप पूजा या गुरुजी को ऑनलाइन बुक कर सकते हैं। केवल एक क्लिक पर, आपको घृष्णेश्वर मंदिर में पूजा कराने वाले पंडितजी की पूरी जानकारी मिल जाएगी।

घृष्णेश्वर मंदिर के आधिकारिक पंडितजी:

घृष्णेश्वर मंदिर में रुद्राभिषेक पूजा, जलाभिषेक पूजा, पंचामृत अभिषेक पूजा और लघुरुद्र पूजा आदि सभी पूजा विधियों को करने का शताब्दियों से स्थानीय अधिकार रखने वाले अधिकृत गुरुजी (पुरोहित) हैं। मंदिर में विभिन्न पूजाओं के अधिकृत अधिकार के साथ ही उनके पास आधिकारिक पहचान पत्र भी उपलब्ध हैं।

कृपया अधिकृत ताम्रपत्रधारी पंडितजी से संपर्क करें और घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में संपन्न होने वाली पूजाओं का आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करें।

घृष्णेश्वर मंदिर के समय:

• प्रतिदिन darshan का समय:
सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक
• विशेष अवसरों पर (जैसे महाशिवरात्रि):
महाशिवरात्रि जैसे पावन अवसरों पर मंदिर 24 घंटे खुला रहता है, ताकि भक्त निरंतर दर्शन और पूजा कर सकें।

घृष्णेश्वर मंदिर ऑनलाइन पूजा बुकिंग:

रुद्राभिषेक पूजा, जलाभिषेक पूजा, पंचामृत अभिषेक पूजा और लघुरुद्र अभिषेक पूजा प्रत्यक्ष या ऑनलाइन करने के लिए आज ही गुरुजी से संपर्क करें। बुकिंग के लिए कृपया नीचे दिए गए गुरुजी के प्रोफाइल पर क्लिक करें। आप किसी भी पुरोहित से संपर्क कर सकते हैं, सभी पुरोहित अधिकृत ताम्रपत्रधारी हैं। इन सभी गुरुजी को घृष्णेश्वर मंदिर में पूजा-अभिषेक करने का अधिकार प्राप्त है।

घृष्णेश्वर मंदिर में पूजा बुकिंग के लिए अधिकृत पुजारियों की सूची

Online & Offline Puja Booking

Note:

  • Each booking permits only one couple or two individuals only. Puja booking details will be shared only after successful puja booking done.
  • All the pandits listed on this website are verified priests who perform puja rituals inside the temple.
  • Rudrabhishek, Jalabhishek & Panchamrit Abhishek are conducted inside the temple’s Garbhagriha and can touch the Shivling during the ritual only for Offline pujas mode.
  • You must reach the designated puja location as coordinated and communicated by the Pandit Ji, for offline puja booking’s. Puja bookings are Non-Refundable.
  • For offline puja bookings, you must reach the puja location 7 hours before the temple closing time,as communicated by panditji.

घृष्णेश्वर मंदिर में संपन्न होने वाली पूजाएँ:

घृष्णेश्वर मंदिर में की जाने वाली भिन्न- भिन्न पूजाएँ :-

  • रुद्राभिषेक पूजा: भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने और नकारात्मक ऊर्जा से संरक्षण प्राप्त करने के लिए रुद्राभिषेक (रुद्र अभिषेक) पूजा की जाती है। रुद्र भगवान शिव के दिव्य रूपों में से एक रूप हैं। इस अभिषेक में शिवलिंग को दूध, मध, घी, दही, शक्कर और पवित्र गंगाजल अर्पित किया जाता है और इस दौरान गुरुजी वैदिक मंत्रों, विशेष रूप से रुद्रसूक्त का उच्चारण करते हैं।
  • जलाभिषेक पूजा: जलाभिषेक करते समय भक्त शिवलिंग पर पानी अर्पित करते हैं और गुरुजी के मार्गदर्शन में मंत्रों का उच्चारण करते हैं। यह कार्य पुरुष, महिलाएं और छोटे बच्चे भी कर सकते हैं।
  • पंचामृत अभिषेक पूजा: भगवान शिव को की जाने वाली अभिषेक पूजा में पंचामृत अभिषेक एक महत्वपूर्ण विधि है। इसमें पंचामृत, अर्थात दूध, दही, मध, शक्कर और घी का पवित्र मिश्रण शंकर की पिंडी पर अर्पित किया जाता है। ये पांच घटक पवित्रता, पोषण और भक्ति के प्रतीक माने जाते हैं।
  • लघुरुद्र अभिषेक पूजा: शंकर की कृपा प्राप्त करने के लिए लघुरुद्र अभिषेक पूजा की जाती है; ताकि भक्तों को शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त हो सके, ऐसा माना जाता है।
  • इसमें यजुर्वेद के रुद्र मंत्रों का उच्चारण करते हुए शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, दही, मध, शक्कर और घी) का मिश्रण अर्पित किया जाता है, उसके बाद पवित्र जल शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है।
    मन और आत्मा को शुद्ध करने, समस्याओं को दूर करने और सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए विशेष रूप से महाशिवरात्रि या श्रावण महीने में भक्त लघुरुद्र करते हैं।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में संपन्न होने वाली अन्य पूजाएँ:

महामृत्युंजय जप: “ॐ त्र्यंम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।” यह महामृत्युंजय मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो मन, शरीर और आत्मा को मजबूत करता है, जिससे व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति होती है। इसके पवित्र ध्वनिविलयों के माध्यम से, यह आत्मा को शाश्वत दिव्य ऊर्जा से जोड़ता है। गायत्री मुद्रा धारण करके इस मंत्र का उच्चारण सामान्यतः 108 बार करना चाहिए।

महाराष्ट्र के घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में पूजा से जुड़े रोचक तथ्य:

  • इस धार्मिक तीर्थस्थल पर भक्तों को स्थानीय पंडितजी के मार्गदर्शन में वैदिक मंत्रोच्चारण द्वारा अभिषेक, पंचामृत अभिषेक और अन्य पूजा अभिषेक किए जा सकते हैं। यहां के ताम्रपत्रधारी गुरुजी का मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • पुरुष भक्तों को मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते समय शर्ट उतारकर (अर्ध वस्त्र) जाने की सलाह दी जाती है। यह घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में प्राचीन काल से चली आ रही एक परंपरा है।
  • यह पवित्र स्थान भक्तों को आध्यात्मिक आशीर्वाद के साथ शांति और समृद्धि की प्राप्ति देता है। प्रत्येक अभिषेक पूजा विधि आत्मिक उन्नति की ओर ले जाने वाला है।
  • अभिषेक के दौरान शिवजी के पिंडी को ताम्बे के पात्र से पानी अर्पित किया जाता है। ताम्बे के कलश में पानी को हमारे हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व दिया गया है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में मनाए जाने वाले प्रमुख उत्सव:

  • महाशिवरात्रि: महादेव और पार्वती के विवाह के दिन को महाशिवरात्रि का दिन माना जाता है। इस दिन सभी भक्तगण पार्वती - महादेव का नाम स्मरण करते हुए अभिषेक करते हैं।
    भक्तों के लिए यह दिन अत्यंत प्रिय माना जाता है।
  • श्रावण: श्रावण मास शिवभक्तों के लिए एक प्रकार से पर्व ही होता है! भक्त पूरे श्रावण महीने में प्रत्येक सोमवार को शंकर का अभिषेक करते हैं, बेलपत्र, गोकर्ण, बेलफूल आदि अर्पित करते हैं।
    हिंदू कैलेंडर के अनुसार, श्रावण महीने में कुल लगभग सोलह सोमवार आते हैं।
  • कार्तिक पौर्णिमा: कार्तिक पौर्णिमा को त्रिपुरारी पौर्णिमा कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर का वध किया था, ऐसी धार्मिक मान्यता है। इस दिन देव दिवाली भी मनाई जाती है।
  • गणेश चतुर्थी: यह दिन पूरे विश्व में गणेशजी का जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में भी इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

घृष्णेश्वर मंदिर और यहां के दर्शनीय स्थल देखने के लिए आते समय आप होटल की बुकिंग आसानी से ऑनलाइन भी कर सकते हैं।

घृष्णेश्वर मंदिर के निकट कुछ दर्शनीय स्थल/पर्यटन स्थल:

  • शिवालय तीर्थ: घृष्णेश्वर मंदिर के पास स्थित यह एक पवित्र जल तीर्थकुंड है; जिसमें आठ पवित्र तीर्थों से आने वाले पवित्र जल का एकत्रीकरण होने का विश्वास है। जैसे- उज्जयनी तीर्थ, द्वारका तीर्थ, त्र्यंबकेश्वर तीर्थ, महालक्ष्मी तीर्थ, काशी तीर्थ, गया तीर्थ, गंगासागर तीर्थ और लोणार तीर्थ।
  • वेरूळ लेणी (वेरुल/ एलोरा गुफाएँ:): यह एक सुंदर पुरातत्वीय स्थल है, जहां गुफाओं की दीवारों पर खुदे हुए विभिन्न धर्मग्रंथों का आनंद लिया जा सकता है। यह विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और विविधताओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है और विश्वभर में एक प्रमुख आकर्षण बना हुआ है।
  • भद्रा मारुती मंदिर: घृष्णेश्वर मंदिर के पास स्थित यह मंदिर हनुमान जी का है। इसे भी आध्यात्मिक महत्व प्राप्त है।
  • कैलास मंदिर: घृष्णेश्वर के पास स्थित कैलास मंदिर वह मंदिर है जो शंकर का है और इसे अपनी स्थापत्यकला, भव्यता और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
  • लक्षविनायक गणपती: घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास स्थित यह गणेश मंदिर 21 गणेशपीठों में से एक है। इसे यश और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
  • दौलताबाद किला: यह किला प्राचीन ऐतिहासिक समृद्ध धरोहर है। यह भौगोलिक स्थल ऐतिहासिक किलों और अतीत के जीवन का साक्षी है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम के पीछे पौराणिक कथा:

घृष्णेश्वर नाम से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं, जो भक्तों को आश्चर्यचकित कर देती हैं। ऐसी ही एक कथा है, जब देवी पार्वती ने हाथ पर कुंकुम में पानी मिलाकर घर्षण से गोलाकार शिवलिंग के आकार की रचना की। इसलिए, इस शिवलिंग को "घृष्णेश्वर" (घर्षण से निर्मित) नाम से संबोधित किया जाता है, ऐसी कथा है। इसके अतिरिक्त, यह भी माना जाता है कि भगवान शिव ने इस पवित्र स्थान पर घुश्मासुर राक्षस का वध किया, जिसके कारण इसका दैवीय महत्व बढ़ा और "घृष्णेश्वर" नाम हुआ, ऐसी मान्यता है। एक और पौराणिक कथा है कि भगवान शिव की एक भक्त थीं, जिनका नाम ग्रुष्मा था। उन्होंने अपने बेटे का जीवन वापस लाने के लिए महादेव की पूजा की। ग्रुष्मा का बेटा जिस जगह मृत हुआ था वही जग़ह पर गृष्माने भगवन शिव की आराधना जारी रखी। उसकी अडिग श्रद्धा के कारण एक चमत्कारी घटना घटी - जो बेटा पानी में डूबकर मर चुका था, वह फिर से जीवित हो गया और भगवान शिव ने स्वयं उसे तालाब से बाहर निकाला। इस दिव्य घटना ने सभी को हैरान कर दिया और महादेव की कृपा से सभी भक्त गहरे रूप से प्रभावित हो गए। ग्रुष्मा की प्रामाणिक भक्ति का उत्तर देते हुए, भगवान शिव ने उसकी इच्छा पूरी करने का वचन दिया। विनम्रतापूर्वक, उसने भगवान शिव से अपनी बहन को माफ़ करने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने अपनी अपार करुणा से इस विनती को स्वीकार किया।

Disclaimer:All services offered are coordinated between user and independence pandits at Grishneshwar. "Grishneshwar Services" is a private facilitator and not affiliated with the Grishneshwar Temple Trust or any religious authority.

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिग मंदिर तक कैसे पहुंचें:

  • नाशिक – घृष्णेश्वर: नाशिक से घृष्णेश्वर मंदिर तक लगभग 172 किलोमीटर की दूरी है। यहां पहुँचने के लिए बस, कार, रेलवे या टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।
  • वेरूळ लेणी (वेरुल/ एलोरा गुफाएँ:): यह एक सुंदर पुरातत्वीय स्थल है, जहां गुफाओं की दीवारों पर खुदे हुए विभिन्न धर्मग्रंथों का आनंद लिया जा सकता है। यह विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और विविधताओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है और विश्वभर में एक प्रमुख आकर्षण बना हुआ है।
  • मुंबई – घृष्णेश्वर: मुंबई से घृष्णेश्वर मंदिर तक लगभग 355 किलोमीटर की दूरी है। मुंबई से घृष्णेश्वर तक रेल्वे, बस या कार से यात्रा की जा सकती है।
  • पुणे – घृष्णेश्वर: पुणे से घृष्णेश्वर मंदिर तक लगभग 250 किलोमीटर की दूरी है। पुणे से घृष्णेश्वर मंदिर तक बस, टैक्सी या कार से यात्रा की जा सकती है।
  • सप्तशृंगी वणी – घृष्णेश्वर: सप्तशृंगी वणी से घृष्णेश्वर मंदिर तक लगभग 140 किलोमीटर की दूरी है। सप्तशृंगी वणी से घृष्णेश्वर मंदिर तक बस, टैक्सी या कार से यात्रा की जा सकती है।
  • शिर्डी – घृष्णेश्वर: शिर्डी से घृष्णेश्वर मंदिर तक लगभग 110 किलोमीटर की दूरी है। शिर्डी से घृष्णेश्वर मंदिर तक बस, टैक्सी या कार से यात्रा की जा सकती है।
  • शनिशिंगणापूर – घृष्णेश्वर:
    शनिशिंगणापूर से घृष्णेश्वर मंदिर तक लगभग 160 किलोमीटर की दूरी है। शनिशिंगणापूर से घृष्णेश्वर मंदिर तक बस, टैक्सी या कार से यात्रा की जा सकती है।

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