रुद्राभिषेक पूजा

रुद्राभिषेक पूजा का अर्थ और महत्व

रुद्राभिषेक शब्द दो संस्कृत शब्दों का संयोजन है:

  • रुद्र (रुद्र) – भगवान शिव के सबसे प्रचंड और शक्तिशाली रूपों में से एक, जो बुराई और नकारात्मकता का नाश करते हैं। "रुद्र" शब्द 'रुद' धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है "रोना" या "दुख दूर करना"। भगवान शिव अपने रुद्र रूप में दुखों को समाप्त कर दिव्य आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
  • अभिषेक (अभिषेक) – एक पवित्र अनुष्ठान जिसमें वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ भगवान का जल, दूध, शहद, घी, दही और पवित्र औषधियों से स्नान कराया जाता है। यह आत्मा की शुद्धि करता है, सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और दिव्यता की कृपा प्राप्त करता है।

इस प्रकार, रुद्राभिषेक पूजा एक अत्यंत शुभ और शक्तिशाली वैदिक अनुष्ठान है जिसमें भगवान शिव की रुद्र रूप में पूजा की जाती है। इसमें यजुर्वेद के श्री रुद्रम के निरंतर पाठ के साथ शिवलिंग का विधिपूर्वक अभिषेक किया जाता है।

घृष्णेश्वर मंदिर, जो कि बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, वहां रुद्राभिषेक पूजा करवाना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह पूजा निम्नलिखित लाभ प्रदान करती है:

  • नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं का नाश
  • शांति, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति
  • ग्रह दोषों से मुक्ति
  • आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति

रुद्राभिषेक पूजा क्या है?

रुद्राभिषेक पूजा भगवान शिव को समर्पित एक शक्तिशाली वैदिक अनुष्ठान है, जो उनकी कृपा, सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस पूजा में यजुर्वेद के रुद्र सूक्त का पाठ करते हुए शिवलिंग पर दूध, शहद, घी, दही, शक्कर और जल जैसी पवित्र सामग्री अर्पित की जाती है।

घृष्णेश्वर मंदिर में रुद्राभिषेक पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ पंडितजी

नीचे ब्रह्मवृंद पुरोहित संघ, घृष्णेश्वर द्वारा आधिकारिक रूप से पंजीकृत पंडितजियों की सूची दी गई है। आप इन पंडितजियों में से किसी से भी संपर्क कर घृष्णेश्वर मंदिर में पूजा की पुष्टि कर सकते हैं।

Online & Offline Puja Booking

Note:

  • Each booking permits only one couple or two individuals only. Puja booking details will be shared only after successful puja booking done.
  • All the pandits listed on this website are verified priests who perform puja rituals inside the temple.
  • Rudrabhishek, Jalabhishek & Panchamrit Abhishek are conducted inside the temple’s Garbhagriha and can touch the Shivling during the ritual only for Offline pujas mode.
  • You must reach the designated puja location as coordinated and communicated by the Pandit Ji, for offline puja booking’s. Puja bookings are Non-Refundable.
  • For offline puja bookings, you must reach the puja location 7 hours before the temple closing time,as communicated by panditji.

रुद्राभिषेक पूजा के प्रकार

  • जलाभिषेक – शिवलिंग पर शुद्ध जल अर्पित करना
  • दूध अभिषेक – दूध से आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु
  • पंचामृत अभिषेक – दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण
  • भस्म अभिषेक – विभूति (पवित्र भस्म) से विशेष पूजा (यह पूजा इस ज्योतिर्लिंग में नहीं होती)
  • लघुरुद्र पूजा – रुद्राभिषेक का एक दिव्य स्वरूप जिसमें यजुर्वेद के रुद्र सूक्त का 11 बार पाठ किया जाता है और साथ में अभिषेक भी होता है।

रुद्राभिषेक पूजा उन सभी के लिए अत्यंत लाभकारी है जो ईश्वरीय कृपा, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति चाहते हैं। यह पूजा विशेषतः

उन लोगों के लिए अनुशंसित है:

  • आर्थिक या करियर समस्याओं का सामना कर रहे व्यक्ति
  • ग्रह दोष जैसे शनि दोष, राहु-केतु दोष, कालसर्प दोष, पितृ दोष से ग्रसित लोग
  • स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं जैसे पुरानी बीमारी, मानसिक तनाव
  • वैवाहिक जीवन में समस्याएं या पारिवारिक असंतुलन
  • आध्यात्मिक साधक और शिव भक्त
  • कानूनी या व्यक्तिगत समस्याएं झेल रहे व्यक्ति
  • घृष्णेश्वर मंदिर में यह पूजा करवाना इसके पुण्य फल को कई गुना बढ़ा देता है।

रुद्राभिषेक पूजा करने का उत्तम समय ?

  • सोमवार और प्रदोष काल (संध्या समय)
  • महाशिवरात्रि और श्रावण मास का विशेष महत्व है
  • पूजा बुकिंग के लिए अधिकृत पंडितजी से सीधे संपर्क करें।

घृष्णेश्वर मंदिर में रुद्राभिषेक पूजा की लागत ?

रुद्राभिषेक पूजा की कीमत पंडितजी पर निर्भर करती है। सामान्यतः दक्षिणा ₹2100 से ₹6000 तक होती है, जो मौसम और सेवाओं पर निर्भर करती है। सटीक शुल्क जानने और बुकिंग के लिए केवल अधिकृत पंडितजियों से ही संपर्क करें।

रुद्र मंत्र – भगवान शिव के लिए शक्तिशाली जप
रुद्र मंत्र भगवान शिव के उग्र रूप "रुद्र" को समर्पित एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली वैदिक मंत्र है। श्रद्धा के साथ इस मंत्र का जाप करने से नकारात्मकता दूर होती है, मानसिक शांति मिलती है और इच्छाओं की पूर्ति होती है। नीचे कुछ प्रमुख रुद्र मंत्र दिए गए हैं:

1. पंचाक्षरी मंत्र (सबसे शक्तिशाली शिव मंत्र)

"ॐ नमः शिवाय"

  • अर्थ: मैं भगवान शिव को नमन करता हूँ, जो सर्वोच्च दिव्य चेतना हैं।
  • लाभ:मानसिक शांति, सुरक्षा और आध्यात्मिक जागृति प्रदान करता है।

2. महामृत्युंजय मंत्र (स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए)

"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥"

  • अर्थ: हम त्रिनेत्रधारी भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो सभी प्राणियों का पोषण करते हैं। कृपया हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त करें और अमरत्व प्रदान करें।
  • लाभ:भय दूर करता है, रोगों से रक्षा करता है और दीर्घायु प्रदान करता है।

3. रुद्र गायत्री मंत्र (दिव्य आशीर्वाद एवं बल के लिए)

"ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥"

  • अर्थ: हम भगवान शिव का ध्यान करते हैं, जो परम दिव्य शक्ति हैं। रुद्र हमारे मन को प्रबुद्ध करें।
  • लाभ: बुद्धिमत्ता, आध्यात्मिक शक्ति और आंतरिक शांति में वृद्धि करता है।

4. रुद्र चामक मंत्र (इच्छाओं की पूर्ति हेतु – रुद्र सूक्त से)

"ॐ नमो भगवते रुद्राय"

  • अर्थ: मैं महाशक्तिशाली रुद्र को नमन करता हूँ, जो बुराई का नाश करते हैं।
  • लाभ: इच्छाओं की पूर्ति करता है, कर्मबंधन मिटाता है और सफलता दिलाता है।

रुद्र मंत्र का जाप कब और कैसे करें?

  • सुबह के समय, सोमवार को या प्रदोष काल में सबसे उत्तम होता है।
  • रुद्राक्ष माला (108 मनकों वाली) से जाप करें।
  • श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करने से श्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं।

रुद्राभिषेक पूजा में रुद्र मंत्रों का महत्व

रुद्राभिषेक पूजा के दौरान विभिन्न रुद्र मंत्रों का जाप कर भगवान शिव की कृपा प्राप्त की जाती है। ये मंत्र यजुर्वेद के रुद्र सूक्त (श्री रुद्रम) से लिए गए हैं और अत्यंत शक्तिशाली माने जाते हैं।

1. रुद्र नमकम (श्री रुद्रम – अध्याय 1)

यह वैदिक स्तोत्र रुद्र की स्तुति करता है और उनकी कृपा की कामना करता है।

  • मंत्र: "ॐ नमो भगवते रुद्राय"
  • लाभ: मैं भगवान रुद्र को नमन करता हूँ, जो दुखों का नाश करते हैं और समृद्धि प्रदान करते हैं।

2. रुद्र चामकम (श्री रुद्रम – अध्याय 2)

नमकम के पश्चात चामकम का पाठ होता है, जिसमें भगवान शिव से इच्छाओं की पूर्ति एवं सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।

  • मंत्र: "अग्निश्च मे चक्षुश्च मे श्रोत्रं च मे बलं च मे ओजश्च मे"
  • लाभ: मुझे अग्नि (ऊर्जा), दृष्टि (दृष्टिकोण), श्रवण शक्ति (बुद्धि), बल (साहस) और ओज (तेज) प्राप्त हो।

3. महामृत्युंजय मंत्र

  • मंत्र: "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे..."
  • लाभ:• नकारात्मक ऊर्जा आणि अडचणी दूर करणे.
    • असमय मृत्यु से बचाव करता है
    • शांति, स्वास्थ्य और दीर्घायु देता है

4. रुद्र गायत्री मंत्र

  • मंत्र: "ॐ तत्पुरुषाय विद्महे..."
  • लाभ:• आध्यात्मिक ज्ञान, स्पष्टता और मनोबल बढ़ाता है
    • ध्यान केंद्रित करने की शक्ति देता है

रुद्राभिषेक पूजा में मंत्रों का प्रयोग कैसे होता है?

  • गणेश वंदना – पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की वंदना से होती है।
  • संकल्प – साधक पूजा का उद्देश्य व्यक्त करता है।
  • श्री रुद्रम (नमकम एवं चामकम) – शिवलिंग पर अभिषेक करते हुए मंत्रों का पाठ किया जाता है।
  • महामृत्युंजय मंत्र एवं रुद्र गायत्री मंत्र – रक्षा व कृपा हेतु जाप किया जाता है।
  • आरती व प्रसाद वितरण – पूजा का समापन आरती और प्रसाद के साथ किया जाता है।

घृष्णेश्वर मंदिर में रुद्राभिषेक पूजा बुक करें

भगवान शिव की दिव्य कृपा पाने के लिए अनुभवी और अधिकृत पुजारियों के साथ रुद्राभिषेक पूजा बुक करें। हम आपकी पूजा को पूर्ण वैदिक विधि और श्रद्धा के साथ संपन्न कराते हैं।

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